सातवां

 सातवां
 
मूल मराठी काव्य: वि. वा. शिरवाडकर 'कुसुमाग्रज'  


 
चम्मच-धानी में सात चम्मच टंगे थें |
एक रोज़
एक चम्मच
न जाने कहाँ खो गया |

बचे छहों के गलों से
सहसा
बेरोक सिसकी फूटी |
"वो होती तो", सुबकते हुए वे बोलें,
"वह न खोता" | 

न जाने कैसे काबू खो कर
मैॆ सातवां चम्मच बन गया,
उसकी ख़ाली जगह ले कर 
छहों की सिसकनों में शरीक हुआ
और बुदबुदा गया:
"सच कहा दोस्तों,
वो होती
तो मैं न खोता"|

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