राहें Sunday, December 27, 2020 राहें मूल मराठी काव्य: पद्मा गोळे(ले) खोयी हुईं राहेंभटकी हुईं राहेंरायज सी राहेंपहलीं थाम लेती है एक हाथतो दूसरीं, दूसराऔर कहती हैं तीसरीं खींचकर पाँव,'बस अब यहीं पड़ जाव' | Comments
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