गुज़ारिश

  * ईमेल-खाता बदल देने कि वजह से पुरानी पोस्ट फिर से प्रकाशित कर रही हूँ। *
 
 
अब जो है सो 'असरार' है
दबा-गड़ा प्यार है 
ज़मीं तले हमारी

गुमाँ के पत्थर सख़्त
डर के बहुत भारी
हटाने हैं - मदद चाहिए तुम्हारी
 
 
- मुक्ता 'असरार'

© मुक्ता असनीकर

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