शेर ०१ Sunday, July 20, 2025 इबादत से मुहब्बत यूँ ह़ज़फ़ की तर्जुमानोंनेमुहब्बत भी नहीं बनती इबादत भी नहीं बनती ।- मुक्ता 'असरार' © मुक्ता असनीकर शब्दार्थ: ह़ज़फ़ = काढून टाकणे, वगळणे, दूर करणेतर्जुमान = मध्यस्थ, अनुवादक, अर्थ समजावून सांगणारा Comments
Comments
Post a Comment