शेर ०१

 इबादत से मुहब्बत यूँ ह़ज़फ़ की तर्जुमानोंने
मुहब्बत भी नहीं बनती इबादत भी नहीं बनती ।


-  मुक्ता 'असरार' 
© मुक्ता असनीकर

शब्दार्थ:
ह़ज़फ़ = काढून टाकणे, वगळणे, दूर करणे
तर्जुमान = मध्यस्थ, अनुवादक, अर्थ समजावून सांगणारा

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