काव्य-अभ्यास ०२

कथा-काव्य महफिल की तैयारियाँ जारी हैं। भाषा की शोख़ अदाएँ हमें प्रति दिन लुभाती हैं, सताती हैं। 
एक दिन मुझे लगा, क्यों न किसी गीत को कविता में बदला जाए। ये रहा नतीजा:

असल गीत के गीतकार: गुलज़ार 
संगीतकार: ए. आर. रहमान 
फ़िल्म: दिल से (निर्दे. मणिरत्नम, १९९८)
 
एक सूरज सा निकला था, कुछ पारा सा पिघला था,
एक आँधी सी आई थी जब दिल से आह निकली थी ।
दिल तो आख़िर दिल है पिया
मीठी सी मुश्किल है पिया
दिल से न पिया दिल से न जिया,
दिल से न जिया दिल से न पिया ।। 
 
पतझड़ के दो पत्ते पेड़ों से उतरे थे,
पेड़ों की शाखों से दो पत्ते उतरे थे।
उगने की चाहत में फिर कितने मौसम गुज़रे
दो पत्ते वो बेचारे जो सहराओं से गुज़रे,
वो पत्ते दिल थे दिल से !
वो पत्ते दिल थे दिल से !
दिल है तो फिर दर्द होगा
दर्द है तो दिल भी होगा
मौसम गुज़रते हैं दिल से, 
दिल से गुज़रते हैं दिल से ।।
 
रिश्तों में बंधन हैं, काटों की तारे हैं 
पत्थर के दरवाज़े हैं, दीवारें दीवारें हैं ।
बेलें फिर भी उगती हैं और गुँचे भी खिलते हैं 
चलते हैं अफ़साने और किरदार भी मिलते हैं - 
वो रिश्तें दिल के दिल से !
वो रिश्तें दिल के दिल से !
ग़म दिल के सब चुलबुले से 
पानी के बस बुलबुलेसे
बुझते ही बनते हैं दिल से,
बनते ही रहते हैं दिल से ।।

- मुक्ता  'असरार '
 
 
असल गीत:
 
एक सूरज निकला था, कुछ पारा पिघला था,
एक आँधी आई थी जब दिल से आह निकली थी दिल से रे ! 
दिल से रे, दिल से रे, दिल से रे...
दिल तो आख़िर दिल है ना
मीठी सी मुश्किल है ना पिया, पिया
पिया पिया, पिया ना पिया,
जिया जिया, जिया ना जिया,
दिल से रे...
।। 
 
दो पत्ते पतझड़के पेड़ों से उतरे थे,
पेड़ों की शाखों से उतरे थे
 
फिर कितने मौसम गुज़रे, वो पत्ते दो बेचारे
फिर उगने की चाहत में, वो सहराओं से गुज़रे,
वो पत्ते दिल-दिल-दिल थे, 
वो दिल थे, दिल-दिल दिल थे !
दिल है तो फिर दर्द होगा, दर्द है तो दिल भी होगा
मौसम गुज़रते रहते हैं दिल से 

दिल से, दिल से, दिल से, दिल से रे...।। 

बंधन है रिश्तों में, काँटों की तारें हैं
पत्थर के दरवाज़े, दीवारें
।   
बेलें फिर भी उगती हैं, और गुँचे भी खिलते हैं
और चलते हैं अफ़साने, किरदार भी मिलते हैं -
वो रिश्ते दिल-दिल-दिल थे, 
वो दिल थे, दिल-दिल दिल थे !
ग़म दिल के बस चुलबुले हैं, पानी के ये बुलबुले हैं
बुझते ही बनते रहते हैं
दिल से
दिल से, दिल से, दिल से, दिल से रे...।।

Comments

Post a Comment